Posts

Showing posts with the label #aasthadabral #datewithcolours

मेरे झरोखे का पहाड़

Image
 सुबह आंख खुली, तो तुम्हे टकटकी बांधे, मेरी ओर देखते पाया  तुम हर रोज़ मेरे झरोखे के सामने खड़े रहते हो कभी आसमां को चूमते मुझे चिढ़ाते हो ,की तुम इतनी दूर क्यों खड़ी हो कभी बादलों में घिरे मुझसे कहते हो की आ जाओ मेरी बाहों में  तुम वहीँ खड़े रहते हो टकटकी बांधे, मेरी ओर देखते रहते हो मानो कहते हो, की मैं हूँ , तू बढ़ तो सही, मेरी ओर एक कदम, उठा तो सही मैं भरी दोपहरी में भी तुम्हे देखने, उस तपते झरोखे पर नंगे पाऊँ चली आती हूँ और तुम इस नीले आसमां तले कुछ पास,  कुछ और ऊंचे नज़र आते हो  शाम ढलते हुए सतरंगी हो जाते हो  तुम मुझे उस समय स्वप्निल नज़र आते हो मैं बैठी रहती हूँ तुम्हारे इंतज़ार में , कि  शायद आज तुम मुझे लेने आ जाओ  कि  रात होने को है , मुझे इस अंधकारमयी दुनिया से बचाने  तुम चले आओ और फिर रात को टिमटिमाते सितारों तले तुम विकराल हो जाते हो कहते हो की मैं हूँ , तुम सो जाओ तुम वहीँ खड़े रहते हो टकटकी बांधे मेरी ओर देखते रहते हो

यथा कथा गोवा

Image
वैधानिक चेतावनी: यदि आप समुद्र, कैसीनोस, बीयर्स और समुद्री किनारों वाले गोवा के बारे में जानना चाहते हैं तो यह लेख सही नहीं है साल १९९६, मानसून ख़त्म होने को था और मैं दोस्तों के साथ कॉलेज ट्रिप के लिए मौसम की तरह खुशनुमा. कॉलेज ट्रिप के वह तीन दिन, समुद्र के किनारे, कमर तक आती लहरों में फोटो खिंचवाना, फेरी में घूमना, पंजिम में खरीददारी, खाना- पीना , भरपूर मस्ती. सारे मुख्य चर्च और बीच घूमे. गोवा की हवा में ही जैसे ख़ुशी बस्ती है, संगीत रहता है. पंजिम में मैं अक्सर लोगों से बात करती रहती, उनके रहन सहन जानती. एक बस ड्राइवर ने मुझे एक कोंकणी लोक गीत भी सिखाया. उसकी दो पंक्तियाँ आज भी याद हैं... चान्या च राति, माडा च सावड़े, सारल्य सविता माडा , चान्या ची शीतल किरणा, नाचा या गावय, घूमता च मधुर तला... फ्लैशबैक से वापस आज ठीक २३ साल बाद, मैं सावन की घटाओं में घिरे गोवा में, फिर लौट आयी. लेकिन आज समुद्र नहीं, उस समुद्र में मिलने वाली नदियों से मिलने और उसके किनारे रहने वाले मधुर लोगों को जानने. ख़ास तौर पर उत्तरी गोवा की बात निकले तो सनबर्न म्यूजिक फेस्टिवल, खूबसूरत बीच स्पोर्ट्स, अंजुन...

You are my Toba Tek Singh

Image
आज वह उसी रेखा पर खड़ा है जहाँ कुछ साठ बरस पहले टोबा टेक सिंह खड़ा था। एक सिस्टम को छोड़ दूसरे में बसने जा रहा है। वो अक्सर चुप रहता था, जब मैं कहती की मैं ही बोलती रहती हूँ, तो कहता, तुम बोलो मैं सुनता हूँ .  उसकी चुप्पी में छिपी वह सारी अनकही बातें मुझे अनगिनत सपने दे जातीं। हम जब भी किसी बात पर झगड़ते तो मैं उसे अपनी एक फोटो भेज देती , ये कह कर की कहीं जा रही हूँ, गेटिंग रेडी. तो जवाब आता पुट ए रेड बिंदी।  पता नहीं उसके मन में यह कैसी तस्वीर थी मेरी, इतने सालों में मैं शायद कभी नहीं जान पायी।  उसका साथी उसे छोड़ किसी और के साथ हो चला था।  उसका यकीन से उठता यकीन, मेरे साथ होकर भी पास न रह पाना , मानो वो सदियों से वहीँ खड़ा है।  उसको सुनने के लिए कोई नहीं मिला, समझने वाले सब पागल। मैं उससे अक्सर कहती, मुझे वादी की बर्फ देखनी है और वो टाल जाता।  कल जब मैंने उसे बताया मैं वादी के उस पार बर्फ देखने जा रही हूँ तो मानो उसका उसके अंदर का ठंडा पड़ा ज्वालामुखी फूट गया।  "और कोई जगह नहीं मिली ?? मेरे भाइयों का खून बहा है वहां। नाशुक्रे हैं लोग।  अपनी ब...

Storms in my mind

Image

Shades of Sunset

Image

Shaping the Dreams

Image
When colors melt... On a dark night...Stars sparkle... When Martian red melts it's heart over the luscious earthy greens and sparkling stars spread across dancing, to celebrate the moment of love in the universe... And then the cupid swooshed the magic wand... Round n round... Filled the pot with dreamy magical particles... ...My little treasure decorated with dreams...