You are my Toba Tek Singh

आज वह उसी रेखा पर खड़ा है जहाँ कुछ साठ बरस पहले टोबा टेक सिंह खड़ा था। एक सिस्टम को छोड़ दूसरे में बसने जा रहा है। वो अक्सर चुप रहता था, जब मैं कहती की मैं ही बोलती रहती हूँ, तो कहता, तुम बोलो मैं सुनता हूँ . उसकी चुप्पी में छिपी वह सारी अनकही बातें मुझे अनगिनत सपने दे जातीं। हम जब भी किसी बात पर झगड़ते तो मैं उसे अपनी एक फोटो भेज देती , ये कह कर की कहीं जा रही हूँ, गेटिंग रेडी. तो जवाब आता पुट ए रेड बिंदी। पता नहीं उसके मन में यह कैसी तस्वीर थी मेरी, इतने सालों में मैं शायद कभी नहीं जान पायी। उसका साथी उसे छोड़ किसी और के साथ हो चला था। उसका यकीन से उठता यकीन, मेरे साथ होकर भी पास न रह पाना , मानो वो सदियों से वहीँ खड़ा है। उसको सुनने के लिए कोई नहीं मिला, समझने वाले सब पागल। मैं उससे अक्सर कहती, मुझे वादी की बर्फ देखनी है और वो टाल जाता। कल जब मैंने उसे बताया मैं वादी के उस पार बर्फ देखने जा रही हूँ तो मानो उसका उसके अंदर का ठंडा पड़ा ज्वालामुखी फूट गया। "और कोई जगह नहीं मिली ?? मेरे भाइयों का खून बहा है वहां। नाशुक्रे हैं लोग। अपनी ब...